Saturday, 1 April 2017

रोजी रोटी

"रोजी रोटी" की वजह से बुराई का दामन मत पकडिये..!
यदि आप में हुनर हैं,ईश्वर में आस्था हैं,खुद पर विश्वास हैं,तो ये नेकी के मार्ग पर चलने से भी मिल जाएगी..!!

हम मुक्ति के लिए उतना ही प्रयत्न कर सकते हैं, उतनी ही शक्ति लगा सकते हैं, जितना एक व्यक्ति धनोपार्जन के लिये......बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख जरूर पढे! 

कुछ लोग धनी बनने की वासना रूपी अग्नि में अपनी समस्त शक्ति, समय, बुद्धि, शरीर यहाँ तक कि अपना सर्वस्व स्वाहा कर देते हैं। यह तुमने भी देखा होगा। उन्हें खाने-पीने तक की भी फुरसत नहीं मिलती। प्रातःकाल पक्षी चहकते और मुक्त जीवन का आनन्द लेते हैं तब वे काम में लग जाते हैं। इसी प्रकार उनमें से नब्बे प्रतिशत लोग काल के कराल गाल में प्रविष्ट हो जाते हैं। शेष को पैसा मिलता है पर वे उसका उपभोग नहीं कर पाते। कैसी विलक्षणता। धनवान् बनने के लिए प्रयत्न करना बुरा नहीं। इससे ज्ञात होता है कि हम मुक्ति के लिए उतना ही प्रयत्न कर सकते हैं, उतनी ही शक्ति लगा सकते हैं, जितना एक व्यक्ति धनोपार्जन के लिये।
मरने के बाद हमें सभी कुछ छोड़ जाना पड़ेगा, तिस पर भी देखो हम इनके लिए कितनी शक्ति व्यय कर देते हैं। अतः उन्हीं व्यक्तियों को, उस वस्तु की प्राप्ति के लिये जिसका कभी नाश नहीं होता, जो चिरकाल तक हमारे साथ रहती है, क्या सहस्त्रगुनी अधिक शक्ति नहीं लगानी चाहिए? क्योंकि हमारे अपने शुभ कर्म, अपनी आध्यात्मिक अनुभूतियाँ- यही सब हमारे साथी हैं, जो हमारी देह नाश के बाद भी साथ जाते हैं। शेष सब कुछ तो यही पड़ा रह जाता है।
आत्म-बोध ही हमारे जीवन का लक्ष्य है। जब उस अवस्था की उपलब्धि हो जाती है, तब यही मानव- देव-मानव बन जाता है और तब हम जन्म और मृत्यु की इस घाटी से उस ‘एक’ की ओर प्रयाण करते हैं जहाँ जन्म और मृत्यु- किसी का आस्तित्व नहीं है। तब हम सत्य को जान लेते हैं और सत्यस्वरूप बन जाते हैं।

         नारायण नारायण
 लक्ष्मीनारायण भगवान की जय

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