वर्तमान समय में हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसके पास
पैसा हो, हर वो सुख-सुविधा हो जिससे वो अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सके,
देखा जायें तो धन का महत्व आज से नहीं, बल्कि कई सदियों से रहा है, शायद आप
इस बात से अंजान होंगे कि महाभारत में धन के महत्व के विषय में कई नीतियां
वर्णित है।
इन नीतियों के
अनुसार मुख्य रूप से चार बातों को ध्यान रखा जाना चाहियें, यदि किसी
व्यक्ति के पास धन अधिक होता है तो आमतौर पर ये देखने को मिलता है, कि वह
बुरी आदतों का शिकार हो जाता है, इसलिये यदि आप धन से हमेशा सुख और शांति
प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अपने मन, शरीर और विचार को नियंत्रित करना
होगा।
शास्त्रों के
अनुसार जो भी व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हुआ है वह पूरी तरह से नष्ट हो
गया, महाभारत की इस नीति में ये भी बताया गया है कि हमें हमेशा ये प्रयास
करना चाहिये कि आय-व्यय में संतुलन बना रहें, तथा इसके साथ ही धन को हमेशा
सोच-समझकर और अपनी जरूरतों के अनुसार व्यय करना चाहिये।
परिश्रम
और ईमानदारी से किए गए कार्यों से जो धन प्राप्त होता है, उससे सबको स्थाई
लाभ मिलता है, और इससे घर में समृद्धि भी बनी रहती है, परंतु जो लोग गलत
कार्यों से धन कमाते हैं, वो कई प्रकार के रोगों और परेशानियों से घिरे
रहते हैं, गलत काम करने से भले ही कुछ समय के लिये सुख की प्राप्ति होती
हो,
परंतु एक बात याद
रखें, ये सुख क्षणिक होता है, और इसका सबसे अच्छा उदाहरण महाभारत में देखने
को मिलता है, दुर्योधन ने छल-कपट से पांडवों से उनकी धन-संपत्ति छीन ली
थी, लेकिन ये संपत्ति उसके पास टिक ना सकी, जैसा कि सभी जानते हैं कि यदि
हम धन का सही प्रबंधन करेंगे और सही कार्यों में धन लगाएंगे तो, निश्चित
रूप से लाभ मिल सकता है।
सही
तरीके से किसी भी कार्यों में लगाए गए धन से हमेशा लाभ की प्राप्ति होती
है, जबकि, जो लोग जल्दबाजी में लाभ कमाने के चक्कर में धन का प्रबंधन गलत
तरीके से करते हैं, वे अंत में बहुत दुखी होते हैं, इसलिये धन भले ही बहुत
कमाओं, लेकिन कमाई का स्तोत् धर्ममय् हो, और उस कमाई का अमूक हिस्सा अच्छे
कार्यों में व्यय करें।
जय श्री कृष्ण!
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