1. हे नाथ! आप मुझे मुझसे अधिक जानते है । इसलिए मेरी इच्छा कभी पूर्ण न हो । आपकी इच्छा पूर्ण हो ।
हरी बोल हरी बोल
2. हे नाथ! मेरे मन, वचन, कर्म से कभी भी किसी को भी किंचिन्मात्र दुःख न पहुँचे यह कृपा बनाये रखे ।
3. हे नाथ! मैं कभी न पाप देखूँ, न सुनू और न किसी के पाप का बखान करूँ ।
4. हे नाथ! शरीर के सभी इन्द्रियों से आठो पहर केवल आपके प्रेम भरी लीला का ही आस्वादन करता रहूँ ।
5. हे नाथ! प्रतिकूल से प्रतिकूल परिस्थिति में भी आपके मंगलमय विधान देख सदैव प्रसन्न रहूँ ।
6. हे नाथ! अपने ऊपर महान से महान विपत्ति आने पर भी दूसरों को खुशी दिया करू ।
7. हे नाथ! अगर कभी किसी कारणवश मेरे वजह से किसी को दुःख पहुँचे तो उसी समय उसके चरणों में पड़कर क्षमा माँग लू ।
8. हे नाथ! आठो पहर रोम रोम से आपके नाम का जप होता रहे ।
9. हे नाथ! मेरे आचरण श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस के अनुकूल हो ।
10. हे नाथ! हरेक परिस्थिति में आपकी कृपा के दर्शन हो ।
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