Tuesday 13 October 2015

बेटी से बहु ----समाज की हकीकत .


सभी माता-पिता, बहन-बेटियो और बहुओ के लिये है यह शिक्षाप्रद कथन.....! एक वकील साहब ने अपने बेटे का रिश्ता तय कर दिया। कुछ दिनों के वाद वकील साहब होने वाले समधी के घर गए, तो उन्होंने देखा कि होने वाली समधन खाना बना रही थीं।
सभी बच्चे और उनकी होने वाली बहु टीवी देख रही थी। वकील साहब ने चाय पी कुशल जाना और चले आये। 1 माह बाद वकील साहब समधी जी के घर दीपावली के त्यौहार के वाद फिर गए। उन्होंने फिर देखा की समधन जी झाड़ू लगा रहीं थी, बच्चे पड रहे थे, और उनकी होने वाली बहु सो रही थी। वकील साहब ने खाना खाया और चले आये।
कुछ दिन बाद वकील साहब किसी काम से एक बार फिर से होने वाले समधी जी के घर गए घर में जाकर देखा होने वाली समधन बर्तन साफ़ कर रही थी बच्चे टीवी देख रहे थे और उनकी होने वाली बहु खुद के हाथो में मेहंदी निकाल रहीं थी।
"20 दिन वाद वकील साहब ने लड़की वालों के यहाँ खबर पहुचाई कि मुझे ये रिश्ता मंजूर नही है"
→ कारण पूछने पर वकील साहब ने कहा की, "मै होने वाले समधी के घर तीन बार गया तीनो बार सिर्फ समधन जी ही घर के काम काज में ब्यस्त दिखीं। एक भी बार मुझे होने वाली बहू घर का काम काज करते हुए नही दिखी। "मुझे अपने बेटे के लिए एक बहू की आवश्यकता है किसी गुलदस्ते की नही जो किसी पॉट में सजाया जाये ।
इसलिये सभी माता-पिता को चाहिये की वह हमेशा इन छोटी छोटी बातो पर अवश्य ध्यान देवे।
1→ बेटी कितनी ही प्यारी क्यों न हो उससे घर के छोटे बड़े काम काज अवश्य कराना चाहिए।
2→समय-समय पर डाटना भी चाहिए जिससे ससुराल में ज्यादा काम पड़ने या डाट पड़ने पर उसके द्वारा गलत करने की कोशिश ना की जाये।
3→ अगर हमारे घर बेटी पैदा होती है, तो हमारी जिम्मेदारी बेटी से बहूँ बनाने की भी है। अगर हमने अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से नही निभाई और बेटी में बहु के संस्कार नही डाले तो इसकी सजा बेटी को तो मिलती है और माँ - बाप को मिलती है, "जिन्दगी भर गालियाँ"।
4→ हर किसी को सुन्दर, सुशील बहू तो चाहिए। लेकिन भाइयो, जब तक हम अपनी बेटियों में एक "अच्छी बहू के संस्कार नहीं डालेंगे, तो हमें संस्कारित बहू कहाँ से मिलेगी।
दोस्तों ये आज के समय की बहुत बड़ी हकीकत है जो शायद किसी को गलत भी लग सकती हे पर यही वास्तविकता हे और यही हर घर घर की कहानी भी हे आज के समय में एक बेटा या बेटी होने से माँ बाप उसकी हर इच्छा पूरी करते हे ये तो बहुत अच्छी बात हे पर साथ साथ में संस्कार देना भी अति आवश्यक हे ताकि आगे कभी कोई परेशानी न हो यदि मेरी बात आपके दिल को छुई हो तो जरूर अमल में लाये और यदि किसी को बुरी लगी हो तो में जोड़कर क्षमा ।
आगे क्या करना न करना ये आप पर हे।
             "आन्नद ही आन्नद "

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