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Saturday, 7 November 2015

रट्टू तोता

एक महात्मा जंगल में होकर गुजर रहे थे.एक दृश्य ऐसा देखा कि महात्मा का हृदय करुणा से भर गया आश्चर्य मिश्रित दुःख हुआ.
बात यह थी कि एक तोते को पकड़ने वाले शिकारी ने दो बांस अलग-अलग गाड़ रखे थे.एक रस्सी में बांस के ही छोटे-छोटे पोले पोकर रस्सी का दोनों सिरा दोनों बांस में बाँध दिया उसमें तोते के प्रिय भोज्य लटका दिए.
जंगली तोते भोजन के लोभ से रस्सी पर आकर जैसे ही बैठते बांस के पोले बजन से घूम जाते तोते उलटे लटक जाते.घबराहट में गिरने के डर से उड़ते भी नहीं शिकारी आराम से सबको पकड़ कर झोले में डाल देता.
महात्मा ने सोचा कितना आश्चर्य है यह भूल जाते हैं की हम उड़ सकते हैं. महात्मा ने दया वश शिकारी से पूछा की भैया यह सब तोते कितने में बेचोगे तो शिकारी ने जबाब दिया बाजार जाने का झंझट बचेगा आप जो देदो.और महात्मा ने सब तोते खरीद लिए.
अपने आश्रम लाकर सबको सिखाना शुरू किया की भैया कुछ पाठ सीख लो जिससे समस्त तोते जाति का कल्याण होगा.
पाठ---१-शिकारी आएगा जाल बिछाएगा..२- तुम लोभ में मत फंसना...३-यदि खाने के लिए बैठ भी जाओ तो डरना मत तुम्हारे पंख हैं तुम उड़ जाना.
कुछ दिन में जब सब तोते पाठ सीख गये अच्छी तरह बोलने लगे.तो महात्मा ने उसी जंगल में सबको छोड़ दिया और निश्चिन्त हुए की अब शिकारी की दाल नहीं गलेगी वह सब तोते एक दुसरे को शिक्षा देकर मुक्त करेंगे.
परन्तु महान आश्चर्य महात्मा कुछ दिन बाद उसी जंगल से निकले तो क्या देखा की सभी तोते उलटे लटके रट रहे हैं.पाठ---१-शिकारी आएगा जाल बिछाएगा..२- तुम लोभ में मत फंसना...३-यदि खाने के लिए बैठ भी जाओ तो डरना मत तुम्हारे पंख हैं तुम उड़ जाना.
परन्तु उनमें से कोई भी उड़ नहीं रहा सब लटके हैं.
उसी रटे तोते की तरह हम सब आपस में शिक्षा दे रहे हैं की संसार माया जाल है इसमें लोभ में मत फंसना तुम ईश्वर अंश हो ईश्वर तक पहुंच सकते हो.
परन्तु आश्चर्य की कोई भी माया के प्रलोभन से बच नहीं पाता और ईश्वर से साक्षात्कार कर नहीं पाता.