भय... ह्रदय का कारावास है और अभिमान उस कारावास पर लगा ताला...
आप स्वंय को देखिये अभिमान से बंधे व्यक्ति के ह्रदय में प्रेम प्रवेश ही नहीं कर पाता... कई मनुष्य अभिमान को अपने जीवन का मन्त्र बना लेते हैं। जीवन का प्रत्येक क्षण वह विताते हैं अपने अभिमान को बढ़ाने में...
किन्तु वास्तव में अभिमान क्या है?
क्या कभी आपने विचार किया है???
अभिमानी व्यक्ति दूसरों से सम्मान मांगता है। सबके मुख पर वो अपने महानतम की प्रशंसा सुनना चाहता है। अपनी शक्ति का वखान सुनने की इच्छा रखता है।
अर्थात अपनी शक्ति का प्रमाण वो दूसरों से मांगता है। उसे स्वंय अपने आप पर विश्वास ही नहीं होता। उसके ह्रदय में भय होता है कि वो दुर्बल है। उसके पास वास्तव में कोई शक्ति ही नहीं...
अर्थात उसी के मन में अभिमान होता है जिसके मन में भय होता है। क्या वास्तव में अभिमान भय का दूसरा नाम नहीं???
स्वंय विचार कीजिए।
जय श्री कृष्ण
आप स्वंय को देखिये अभिमान से बंधे व्यक्ति के ह्रदय में प्रेम प्रवेश ही नहीं कर पाता... कई मनुष्य अभिमान को अपने जीवन का मन्त्र बना लेते हैं। जीवन का प्रत्येक क्षण वह विताते हैं अपने अभिमान को बढ़ाने में...
किन्तु वास्तव में अभिमान क्या है?
क्या कभी आपने विचार किया है???
अभिमानी व्यक्ति दूसरों से सम्मान मांगता है। सबके मुख पर वो अपने महानतम की प्रशंसा सुनना चाहता है। अपनी शक्ति का वखान सुनने की इच्छा रखता है।
अर्थात अपनी शक्ति का प्रमाण वो दूसरों से मांगता है। उसे स्वंय अपने आप पर विश्वास ही नहीं होता। उसके ह्रदय में भय होता है कि वो दुर्बल है। उसके पास वास्तव में कोई शक्ति ही नहीं...
अर्थात उसी के मन में अभिमान होता है जिसके मन में भय होता है। क्या वास्तव में अभिमान भय का दूसरा नाम नहीं???
स्वंय विचार कीजिए।
जय श्री कृष्ण
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