Tuesday, 13 October 2015

क्रोध और परिणाम -


एक बार की बात है, एक छोटे बच्चे को बहोत गुस्सा आता था l उसके पिता ने उसे कीलो से भरा हुआ एक बैग दिया और कहा की जब भी उसे गुस्सा आएगा वह उस कील को बाड़े के पीछे हथोड़े से ठोक देगा.l
पहले ही दिन उस लड़के ने ३७ कीले बाड़े के पीछे ठोकी. और कुछ हफ्तों बाद, वो अपने गुस्से को काबू में करना सीख गया था, कीले बाड़े की दीवार पर दिन ब दिन कम होते जा रही थी. उसने जाना की जब उसे गुस्सा आये तो ये आसान तरीका है की वह किलो को हथोड़े से ठोके जिससे वो अपना गुस्सा काबू में कर सके.l
और आखिर वो दिन आ ही गया जब उस लड़के को जरा भी गुस्सा नहीं आया. ये बात उसने अपने पिताजी को बताई और उसके पिताजी ने उसे सलाह दी की वो हर दिन एक कील निकाल लाये जो उसने गुस्से के वक़्त ठोकी थी, ताकि हर दिन वह गुस्से पर काबू पा सके. और ऐसे कई दिन बीतते गये और एक दिन ऐसा आया जब उस बाड़े में एक भी कील नहीं बची थी.l
तब पिताजी ने बच्चे का हाथ अपने हाथ में लिया और उसे बाड़े में ले गये. और कहा, “तुमने बहोत अच्छी तरह अपना काम किया अब उन गड्डो को देखो जो कील ठोकने से हुए थे. वो बाड़ा कभी पहले जैसा नहीं हो सकता. इसी तरह गुस्से में कहे हुए आपके कडवे शब्द भी निकल जाने पर कभी वापिस नहीं आते.”
गुस्से में कहे हुए कडवे शब्दों के बाद इसका कोई अर्थ नहीं होता की आपने कितनी बार Sorry कहा या माफ़ी मांगी. उस समय आप अपना सम्मान वापिस नही पा सकते.l

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