Tuesday, 20 October 2015

ज्ञान प्राप्ति सदा ही समर्पण से होती है

ज्ञान प्राप्ति सदा ही समर्पण से होती है... ये हम सब जानते हैं। 
किन्तु समर्पण का वास्तविक महत्व क्या है???

क्या हमने कभी विचार किया???

मनुष्य का मन सदा ही ज्ञान प्राप्ति में विभिन्न बाधाओं को उत्पन्न करता है। जैसे... कभी किसी अन्य विद्यार्थी से ईर्ष्या हो जाती है, तो कभी - कभी पढ़ाये हुए पाठों पर सन्देह जन्मता है, और कभी गुरु द्वारा दिया गया दण्ड मन को अहंकार से भर देता है।

विचार कीजिए... क्या ऐसा नहीं होता???

न जाने कैसे - कैसे विचार मन को भटकाते हैं, और मन की इसी अयोग्य स्थिति के कारण, हम ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाते... मन की योग्य स्थिति केवल समर्पण से निर्मित होती है। समर्पण मनुष्य के अहंकार का नाश करता है। ईर्ष्या, महत्वकांशा आदि भावनाओं को दूर कर... ह्रदय को शान्त और मन को एकाग्र करता है।

वास्तव में ईश्वर की सृष्टि में... न ज्ञान की मर्यादा है और न ज्ञानियों की...

गुरु दत्तात्रेय ने तो गाय और समस्त प्रकृति से भी ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

अर्थात विषय ब्रम्ह ज्ञान का हो या जीवन के ज्ञान का या गुरुकुल में प्राप्त होने वाले ज्ञान का... उस ज्ञान की प्राप्ति के लिए गुरु से अधिक महत्व है, उस गुरु के प्रति हमारा समर्पण...

क्या यह सत्य नहीं....?

स्वंय विचार कीजिए!!!!

.जय श्री कृष्ण

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