कुम्भकर्ण की पत्नी का नाम निंद्रादेवी हे।निंद्रादेवी जब विधवा होने पर श्री राम चंद्र जी के पास गई और पूछा -की पर्भु अब में कहा जाऊ ??
रामचन्द्र जी ने कहा की वह जहाँ चाहे वहा रह सकती हे। तो निंद्रा देवी ने कहा की मेने निच्छय किया हे जहां आप का कथा - कीर्तन होगा ,,वही जाकर अपना आसन जमाउंगी।पंचप्राण को कान में रख कर कथा सुनो।
एक बार मीरा बाई अन्य भक्तो के साथ कीर्तन कर रही थी। कई लोगो का ताल ठीक नही था।जब शरीर का भान नही रह पाता ।तो ताल की तो बात ही क्या।किसी ने बड़े बड़े अक्षरो में लिखा ""ताल से गाओ ""अगले दिन मीराबाई ने यह पड़ा तो उन्होंने उसे रद्द करके लिखा ""प्रेम से गाओ""कीर्तन में ताल की अपेक्षा प्रेम प्रधान हे ।कीर्तन करने से मन की अशुद्धि धुलती हे और ह्रदय विशुद्ध होता हे ।
कीर्तन तालिया बजा बजा कर करो।पर्भु सभी को देखते हे ।कीर्तन में जो तालिया नही बजाते ;;उसके लिए भगवान सोचते हे की मे मुर्ख ही हु जो मेने इसे दो हाथ दिए किन्तु अगले जन्म में में
अपनी भूल सुधार लूंगा और इसे दो ओर्र पांव दूंगा।
पर्भु भजन में तालिया बजाने में शर्म क्यों ।पाप से शर्म करो।पाप झरने में हेठी हे।
जो पर्भु भजन में तालिया बजाने में कतराते हे उसे अगले जन्म में परमात्मा हाथ की जगह दो पाँव और देते हे।इसलिए प्रेम से तालिया बजाकर संकीर्तन करो।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
अंत में
बजाओ राधा नाम की ताली
बजाओ श्याम नाम की ताली
समर्पित-राधायुगलकिशोर सेवा में -हरे कृष्ण भक्ति हट्ट
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