Friday, 9 October 2015

श्रेष्ठता का क्या अर्थ है? विचार करो?



श्रेष्ठता का अर्थ है दूसरे से अधिक ज्ञान प्राप्त करना... अर्थात मूल्य इस बात का नही कि स्वंय कितना ज्ञान प्राप्त किया... मूल्य इस बात का है कि प्राप्त किया हुआ ज्ञान अन्य लोगों से कितना अधिक है...
अर्थात श्रेष्ठता की इच्छा ज्ञान प्राप्ति को भी प्रतियोगिता बना देती है और प्रतियोगिता में विजय अन्तिम कब होती है???
कुछ समय के लिए तो श्रेष्ठ बना जा सकता है, किन्तु सदा के लिए कोई श्रेष्ठ नही रह पाता......
फिर वही असन्तोष, पीड़ा और संघर्ष जन्म लेता है।
किन्तु श्रेष्ठ बनने के बदले यदि उत्तम बनने का प्रयत्न करें तो क्या होगा???
उत्तम का अर्थ है कि जितना प्राप्त करने योग्य है वो सब प्राप्त करना। किसी से अधिक पाने की इच्छा से नही... मात्र आत्मा की तृप्ती हेतु कुछ प्राप्त करना... उत्तम के मार्ग पर किसी अन्य से प्रतियोगिता नही होती, स्वंय अपने आप से प्रतियोगिता होती है।
अर्थात उत्तम बनने का प्रयत्न करने वाले को देर-अवेर सारा ज्ञान प्राप्त हो जाता है, बिना प्रयत्न के ही वो श्रेष्ठ बन जाता है।
किन्तु जो श्रेष्ठ बनने का प्रयत्न करता है वो श्रेष्ठ बने या न बने... उत्तम कभी नही बन पाता!
स्वंय विचार कीजिए!
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जय श्रीराधेकृष्ण
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