Saturday, 31 October 2015

स्वयं विचार कीजिये

 इतना कुछ होते हुए भी,
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...
मौन होना सब से बेहतर है।
2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...
सफेद रंग सब से बेहतर है।
3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...
उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..
पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।
5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...
बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।
6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...
अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।
7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...
सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।

इंसान के अंदर जो समा जायें वो  " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो " अभिमान "
 
जब भी बड़ो के साथ बैठो तो परमात्मा का धन्यवाद ,
     क्योंकि कुछ लोग इन लम्हों को तरसते हैं ।
जब भी अपने काम पर जाओ तो परमात्मा का धन्यवाद करो
     क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।
परमात्मा का धन्यवाद कहो जब तुम तन्दुरुस्त हो ,
     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं ।
परमात्मा का धन्यवाद कहो की तुम जिन्दा हो ,
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो जिंदगी की कीमत ।

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