Saturday, 31 October 2015

पैसा

पैसा

जब पैसा नहीं होता है तो सब्जियां पका के खाता है
और जब पैसा आ जाता है तो सब्जियां कच्ची खाता है।
जब पैसा नहीं होता है तो मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता है
और जब पैसा आ जाता है तो इंसान भगवान को दर्शन देने जाता है।
जब पैसा नहीं होता है तो नींद से जगाना पड़ता है
और जब पैसा आ जाता है तो नींद की गोली देके सुलाना पड़ता है।
जब पैसा नहीं होता है तो अपनी बीवी को सेक्रेट्री समझता है
लेकिन जब पैसा आ जाता है तो सेक्रेट्री को बीवी बना लेता है।।

ऐसा है ये पैसा अजीब है ये पैसा...?
 
छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को बीत जाता है। 
उसका आधा=20 वर्ष बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। 
उसमें भी कभी योग,कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।
अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। 
उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ? 
यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें, और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?

No comments:

Post a Comment