जीव का सम्मान गले में पडने बाली
फूलमालाओंव सम्मान पत्रों के मिलने से नहीं,
वल्कि यमराजसम्मान की नजरों से देखे उसमें है।
ये सम्मान पत्रऔर फूलमालाऐं तो साथ जाने नहीं न।
वे जीव अभागे हैं, जो
भगवान की करूणा –
कृपा वदया को नहीं जानते,
अथवा यह कहिए कि, नहीं जानना चाहते।
वे मूर्ख प्रभु कृपा को रुपया-पैसा वपदों से तोलते हैं।
उनकी नजर में जिसके पासजितनी अधिक
दौलत- शौहरत व पद हैं,
उसकेऊपर उतनी ही अधिक कृपा है,
और जिसके पास कम, उसके
ऊपर कोप।
जबकि भगवान के पासतो कृपा और करुणा
के अलावा कुछ है ही नहीं।
आखिर वे करुणाकार यूँ ही तो नहीं कहलाते।
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